Jump to content
IndiaDivine.org

grah dosh- jyotishiy avlokan

Rate this topic


Guest guest

Recommended Posts

Guest guest

जय गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ ,

 

कà¥à¤¯à¤¾ आप जानते हैं की गà¥à¤°à¤¹ दोष कà¥à¤¯à¤¾ है?.... और कैसे इसका पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ पूरे जीवन की खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को समापà¥à¤¤ ही कर देता है . वासà¥à¤¤à¥ दोष कà¥à¤¯à¤¾ है? कैसे इस दोष से घर की सà¥à¤– शांति ही समापà¥à¤¤ हो जाती है ... पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ लोगो को ये शिकायत रहती है की हम पूजा पाठ करते हैं सभी देवी देवताओं को नमन करते हैं पर हमारा दà¥à¤°à¥à¤­à¤¾à¤—à¥à¤¯ बढ़ता ही जाता है. वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से किसी खास मनà¥à¤¤à¥à¤° की साधना किये

जा रहे हैं पर सफलता तो मानों कोसो दूर है ही साथ ही साथ तकलीफे कम होने के बजाय बढती ही चली जा रही है................. à¤à¤¸à¥‡ कितने ही पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ हैं जिनका उतà¥à¤¤à¤° पाने में लोग अपना जीवन लगा देते हैं पर जितना कोशिश करते हैं उससे कही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उलà¤à¤¤à¥‡ चले जाते हैं. इन सारे ही पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° के पास हैं शरà¥à¤¤ à¤à¤• ही है की विवेचना जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हो मतलब

जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· जब तक किसी की विवेचना करता है तब तक तो वो विवेचन सही रहता है पर जैसे ही जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ बोलना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚भ करता है सारा का सारा दही फ़ैल ही जाता है.

चलिठआज हम उन सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को समà¤à¤¨à¥‡ की कोशिश करते हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सदगà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ ने हमें बताया तो है पर हम ही उन सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को विसà¥à¤®à¥ƒà¤¤ कर बैठे हैं. मैंने अपने २२ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€à¤¯ जीवन में कभी भी इन सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को गलत नहीं पाया है .१. कà¥à¤¯à¤¾ किनà¥à¤¹à¥€ सà¥à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में देवी -देवताओं का पूजन भी अशà¥à¤­ हो जाता है ? हाठअगर किसी की कà¥à¤‚डली के दà¥à¤¸à¤°à¥‡ घर में कोई गà¥à¤°à¤¹ नहीं हो और उसके आठवे

और बारहवे भावः में जो भी गà¥à¤°à¤¹ बैठे हो वो आपस में शतà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ रखते हों तो à¤à¤¸à¥‡ हालत में किसी भी देवी देवता का पूजन अशà¥à¤­ हो जाता है कà¥à¤¯à¥‚ंकि १२ भाव मोकà¥à¤· या समाधी का भी कारक है,२ भाव धरà¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का कारक है,और ८ भाव मृतà¥à¤¯à¥ का .अब यदि २ भाव खली होगा तो उसे जब मृतà¥à¤¯à¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का गà¥à¤°à¤¹ पूरà¥à¤£ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ मतलब ७ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखेगा तो आपके साधना का फल भी शूनà¥à¤¯ ही होगा. और संयà¥à¤•à¥à¤¤ रूप से बैठे हà¥à¤ १२ भाव का

सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ यदि शतà¥à¤°à¥ ही हà¥à¤† तो उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की अशà¥à¤­à¤¤à¤¾ कही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बॠकर होगी ही .à¤à¤¸à¥‡ में यदि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ किसी धरà¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ करता है या उसके निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिठदान देता है तो उसका विपरीत पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ सà¥à¤µà¤¾à¤­à¤¾à¤µà¤¿à¤• ही है .और à¤à¤• बात मैं यहाठसà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ कर देता हूठकी ये पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ सिरà¥à¤« आप को ही नहीं होता बलà¥à¤•à¤¿ आपकी पूजा का पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ बहà¥à¤¤ से जगह पर हो सकता है उदाहरण यदि वहा ८ भाव में सूरà¥à¤¯ अपने शतà¥à¤°à¥ के

साथ जो की ८ वे भावॠसे समà¥à¤¬à¤‚धित हो तो आरà¥à¤¥à¤¿à¤• हानि, शासन समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€,पिता को भी कषà¥à¤Ÿ होगा .चनà¥à¤¦à¥à¤° होगा तो माठको,मानसिक शांति को, मंगल होगा तो रकà¥à¤¤ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€,भाई समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€, लड़ाई à¤à¤—डे का,बà¥à¤§ होगा तो वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° को,बहन को,शà¥à¤•à¥à¤° होगा तो सà¥à¤– शांति, पतà¥à¤¨à¥€ को,गà¥à¤°à¥ हà¥à¤† तो विदà¥à¤¯à¤¾ ,जà¥à¤žà¤¾à¤¨, वकॠकà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ को,शनि हà¥à¤† तो बड़े तौ, या चाचा, नौकरी को, राहू हà¥à¤† तो ससà¥à¤°à¤¾à¤² को, केतॠहà¥à¤† तो बेटे और मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को

हानि होगी . इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जो लोग à¤à¤• ही समय में अपने पूजा सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में बहà¥à¤¤ सारे देवी देवता का पूजन करते रहते हैं या तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡ लगा कर रखते हैं वो लोग गलती से सभी ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ को जागà¥à¤°à¤¤ कर लेते हैं और ये ततà¥à¤µ आपस में ही टकराकर वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ हो जाते हैं .यही कारण है की लोग लगातार पूरे जीवन पूजा पाठ करते हैं और उमà¥à¤° रोते रहते हैं की भगवान आपने हमें कà¥à¤› नहीं दिया .इस लिठसदगà¥à¤°à¥ से

पूछकर सरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¥à¤® अपने इषà¥à¤Ÿ को जानना चाहिà¤.वे आपके ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ को पहचानकर आपको उसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ करा देंगे.वैसे इसका पता आपकी कà¥à¤‚डली के ५ वे भाव से होता है वो भाव आपके पूरà¥à¤µà¤œà¥€à¤µà¤¨ की किताब ही होता है . इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जो की आपके पà¥à¤°à¥‡à¤® का भी भाव है ये भी पता चल जाता है की आपके इषà¥à¤Ÿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आपका पà¥à¤°à¥‡à¤® कितना आतà¥à¤®à¤¿à¤• है या आपको इषà¥à¤Ÿ की कृपा कब मिल पायेगी. यदि पंचमेश का सपà¥à¤¤à¤®à¥‡à¤¶ और वà¥à¤¯à¤¯à¥‡à¤¶

(१२ वे भाव का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€) से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ बनता है तो इषà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥€à¤•à¤°à¤£ होना ही है, सफलता मिलनी ही है.यदि पंचम भाव में सूरà¥à¤¯ हो या वो यहाठका सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हो तो इषà¥à¤Ÿ विषà¥à¤£à¥ होंगे, चनà¥à¤¦à¥à¤° -शिवजी,मंगल-हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी,बà¥à¤§-दà¥à¤°à¥à¤—ा उपासना, बà¥à¤°à¤¹à¤¸à¥à¤ªà¤¤à¤¿ -शिवजी,विषà¥à¤£à¥ जी, शà¥à¤•à¥à¤°-लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€,शनि-भैरव, राहू-सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ,केतà¥-गणेश जी,... मतलब पà¥à¤°à¥à¤· गà¥à¤°à¤¹ वालो को देवता का और सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¤¹ वालों को देवी का चयन करना

चाहिठ.साथ ही किस विधि से उपासना करना है इसका पता नवमॠभाव से लगता है. यदि पंचम भाव में सतगà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ राशिः है तो वैदिक विधि,मनà¥à¤¤à¥à¤° ,योग साधना करना उचित है .राजसी गà¥à¤£ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ राशिः है तो पूरà¥à¤¨à¥‹à¤ªà¥à¤šà¤¾à¤° पूजन व दकà¥à¤·à¤¿à¤£ मारà¥à¤— तथा तामस गà¥à¤£ यà¥à¤•à¥à¤¤ राशिः वालों के लिठउगà¥à¤° साधनाà¤à¤‚ उचित हैं. इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अपने दà¥à¤µà¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का चयन भी सावधानी से करना चाहिà¤, हमेशा ६,८,१२ भाव में

सà¥à¤¤à¤¿à¤¥ राशियों से समà¥à¤¬à¤‚धित अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚भ होने वाले मनà¥à¤¤à¥à¤° को न करना ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उचित है ,कà¥à¤¯à¥‚ंकि यदि हम अपने ६थ भाव की राशिः के पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ वाले अकà¥à¤·à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚भ होने वाले मनà¥à¤¤à¥à¤° का यदि जप करते हैं तो करà¥à¤œ,शतà¥à¤°à¥,मà¥à¤•à¤¦à¤®à¤¾,रोग आदि पीछे लग जाते हैं, ८ वे से बीमारियाà¤,दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾,१२ वे से वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ का खरà¥à¤š होना ही है.इस लिठशासà¥à¤¤à¥à¤° आजà¥à¤žà¤¾ है की मनà¥à¤¤à¥à¤° हमेशा गà¥à¤°à¥à¤®à¥à¤– से ही लेना चाहिठ. गà¥à¤°à¥

अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से घरà¥à¤·à¤£ कर उसके ताप में उस मनà¥à¤¤à¥à¤° के दोषों को भसà¥à¤®à¥€à¤­à¥‚त कर देता है .और वो मनà¥à¤¤à¥à¤° साधक के लिठनिरà¥à¤®à¤² व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ हो जाता है. इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सिरà¥à¤« तथाकथित वासà¥à¤¤à¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कहने पर घर में तोड़ फोड़ करने से गà¥à¤°à¤¹-वासà¥à¤¤à¥ आपके अनà¥à¤•à¥‚ल नहीं हो सकता बलà¥à¤•à¤¿ वासà¥à¤¤à¥ भंग का भी दोष लग जाता है .हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अपने घर की भी कà¥à¤‚डली बनवाकर देख लेना चाहिठ,ताकि भावो के आधार पर

दिशाओं की शकà¥à¤¤à¤¿ की जानकारी हो सके तथा शकà¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¬à¤²à¤¤à¤¾ को संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ किया जा सके.वैसे भी जनà¥à¤® कà¥à¤‚डली में यदि शनि-राहू, मंगल-राहू, साथ में हो चाहे वो किसी भी भाव में हो तो वासà¥à¤¤à¥ दोष होता ही है. रही बात दिशा की पà¥à¤°à¤¬à¤²à¤¤à¤¾ की तो उसके लिठगृह सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ की कà¥à¤‚डली का अवलोकन करके ही दिशों की शकà¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ को बताया जा सकता है. à¤à¤¸à¥€ किसी भी सà¥à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ में गृह दोष निवारण ,वासà¥à¤¤à¥ दोष निवारण

साधना और गृह बाधा निवारण दीकà¥à¤·à¤¾ के लिठसदगà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करना ही शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤® उपाय है. भविषà¥à¤¯ में और कà¥à¤› सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¶ करूà¤à¤—ा .तब तक के लिà¤

"ॠशम"

 

****ARIF****

Add more friends to your messenger and enjoy! Invite them now.

Link to comment
Share on other sites

Join the conversation

You are posting as a guest. If you have an account, sign in now to post with your account.
Note: Your post will require moderator approval before it will be visible.

Guest
Reply to this topic...

×   Pasted as rich text.   Paste as plain text instead

  Only 75 emoji are allowed.

×   Your link has been automatically embedded.   Display as a link instead

×   Your previous content has been restored.   Clear editor

×   You cannot paste images directly. Upload or insert images from URL.

Loading...
×
×
  • Create New...