Guest guest Posted September 2, 2007 Report Share Posted September 2, 2007 ll HARE RAM ll करोड़ों यज्ञों का फल मिलता है कृष्णाष्टमी उपवास से पूर्ण पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण का पृथ्वी पर अवतरण भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी के अर्धरात्रिकालीनमहानिशीथकालमें रोहिणी नक्षत्र के अन्तर्गत वृषलग्नमें हुआ था। गौतमीतन्त्र में लिखा है- अथ भाद्रसिताष्टम्यांप्रादुरासीत्स्वयं हरि:। ब्रह्मणाप्रार्थित:पूर्वदेवक्यांकृपया विभु:॥रोहिण्यक्र्षेशुभतिथौदैत्यानांनाशहेतवे।महोत्सवंप्रकुर्वीतयत्नतस्तद्दिनेशुभे॥ पूर्वकाल (द्वापरयुग) में ब्रह्मादिदेवताओं की प्रार्थना पर दैत्यों के विनाश हेतु स्वयं श्रीहरिरोहिणी नक्षत्र से युक्त शुभतिथिमें देवकी माता के यहां अनुग्रह करके प्रकट हुए थे। अत:इस दिन उनका आविर्भावोत्सवउत्साह के साथ मनाना चाहिए। दृश्यगणितानुसारसोमवार 3सितंबर को सप्तमी के समाप्त होने के उपरान्त भाद्रपद-कृष्ण-अष्टमी रात्रि 9.03बजे प्रारंभ होकर संपूर्ण रात्रिव्यापिनीबन के मंगलवार 4सितंबर को सायं 7.07बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र सोमवार 3सितंबर को सायं 7.42बजे शुरू होकर मंगलवार 4सितंबर को सायं 6.31बजे तक रहेगा। इस प्रकार दृक पक्षीय पंचांगों की दृष्टि में योगेश्वर श्रीकृष्ण की जन्मतिथि (अष्टमी) और जन्मनक्षत्र (रोहिणी) का उनके जन्मकाल(अर्धरात्रि) में संयोग सोमवार की रात में होगा। शास्त्रों का कथन है- अष्टमी रोहिणीयुक्ताचार्धरात्रेयदा भवेत्।उपोष्यतांतिथिंविद्वान् कोटियज्ञफलंलभेत्॥ सोमाह्निबुधवारेवाअष्टमी रोहिणीयुता।जयन्ती सा समाख्यातासा लभ्यापुण्यसंचयै:॥ अर्धरात्रि के समय यदि अष्टमी रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो जाए, तो उस तिथि में किया गया उपवास करोडों यज्ञों का फल देने वाला होता है। भाद्रपद कृष्णाष्टमी यदि सोमवार अथवा बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र से संयोग करे तो वह तिथि श्रीकृष्णजयंतीके नाम से प्रसिद्ध होगी। अतएव दृश्यगणितके मत को मानने वाले स्मार्त गृहस्थ हिन्दू सोमवार 3सितंबर के दिन उपवास रखते हुए अर्धरात्रिमें श्रीकृष्ण-जयंती के सुयोग में जन्मोत्सव मनाकर अक्षय पुण्य के संचय से लाभान्वित हो सकते हैं। राष्ट्र के जिन प्रदेशों में दृश्यगणितीयपंचांगों की मान्यता है, वहां दीक्षाप्राप्तवैष्णवों को छोडकर सनातनधर्म के अन्य सब अनुयायी (स्मार्त) सोमवार 3सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे और इस वर्ष उपलब्ध होने वाले श्रीकृष्ण-जयंती के दुर्लभ योग का आध्यात्मिक लाभ उठाएंगे। वायुपुराणमें श्रीकृष्ण-जयंती की महिमा गाते हुए कहा गया है कि इसका विधिवत् व्रत करने वाले की 21पीढियों का उद्धार हो जाता है। जयंती योगवालीजन्माष्टमी का सविधि व्रत कर लेने के बाद इतना अधिक पुण्यफलप्राप्त हो जाता है कि भक्त को कुछ और करने की आवश्यकता नहीं रह जाती। वैष्णव गुरु से दीक्षा (कंठी) लिए भक्तगण सम्प्रदाय के नियमों से बंधे हुए होने के कारण सोमवार 3सितंबर की सप्तमी से विद्धाअष्टमी के बजाय मंगलवार 4सितंबर को उदयातिथि के रूप में रोहिणीयुताअष्टमी के दिन श्रीकृष्णजन्माष्टमीका व्रतोत्सवकरेंगे। वैष्णव, साधु-संन्यासी इसी दिन श्रीकृष्णजन्माष्टमीका व्रत रखेंगे। आस्तिकजनअपने कुल एवं गुरु-परम्परा में स्वीकृत पंचांग की दृष्टि से व्रत की तारीख का चयन करते हैं। ब्रह्माण्डपुराणमें जन्माष्टमी के माहात्म्य का गुणगान करते हुए यहां तक कहा गया है- यस्यांसनातन: साक्षात् पुराण-पुरुषोत्तम:। अवतीर्ण: क्षितौसैषामुक्तिदेतिकिमद्भुतम्॥ जिस तिथि में साक्षात सनातन पुराण-पुरुषोत्तम भगवान धरा पर अवतरित हुए हों, वह तिथि यदि मुक्तिदायिनीमानी जाती है, तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। आइये हम सब मिलकर इस वर्ष योगेश्वर श्रीकृष्ण की 5233वींजयंती श्रद्धा और भक्तिभावसे मनाएं। जन्माष्टमी का व्रत मानव को ईश्वर से जोडता है। भवदीयशशि शेखर HARE_RAM Astro_Remedies Manglik_ManglikShashi S.Sharma [spiritualist,Astrologer & Gems Advisor] Delhi, Cell-09818310075 polite.astro polite_astro Park yourself in front of a world of choices in alternative vehicles.Visit the Auto Green Center. Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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